खंडर महल
चारों उस महल के खंडहर की ओर तेजी से खींचें चले जा रहे थे। गाड़ी बिल्कुल महल के परकोटे का जो बड़ा दरवाजा था उसके आगे आकर रुकी, वहाँ शांति थी लग रहा था के कोई बहुत समय से यहाँ पर आया नहीं था..
शिखर ने चारों तरफ देखते हुवे कहा , "बाप रे ! कितना बड़ा महल है, यहां तो हमारी पूरी कालोनी ही बस जाएगी।"
वाकई किसी जमाने मे महल की बड़ी शानोशौकत रही होगी। ये बड़ा सा दरवाजा जो परकोटे मे लगा था। उस पर जो कलाकारी की गयी थी देखते ही बनती थी। ये बड़े बड़े दो सफेद हाथियों के चित्र उकेरे गये थे जिन की सूंड मे सफ़ेद और लाल पुष्पों की माला थी और दरवाज़े पर लिखा था
"पधारो सा"
शिखर, तान्या, सोहन और कपाली को ऐसे लग रहा था जैसे वो महल का खंडहर उठ कर उनका स्वागत करने आया हो। सब गाड़ी को एक साइड लगा कर परकोटे के दरवाजे के सामने खड़े थे एक बड़ा लोहे का दरवाजा बहुत बुरी तरह से जंग लगा हुआ था और जगह जगह से जंग के कारण टूटा हुआ था, शायद कुछ करामात चोरो की भी होगी दरवाजे के टूटने मे। पहले कही शायद खाली पड़े महल को देखकर चोर ख़ज़ाने की खोज मे यहां आये हो ।
वो चारों आगे बढे, दरवाज़ा जरा सा जोर से धक्का देने पर ही दरवाजा खुल गया। तभी एक चमगादड़ों का समूह किंकिं की करता हुआ उनकी ओर आने लगा। वे सभी एक दम से डर गये। पर कपाली ने सब को एकदम नीचे झुकने को बोला और वो सभी चमगादडे बड़े दरवाजे से बाहर हो गयी तान्या की तो जान ही निकल गयी थी वो अभी तक सम्हाल नहीं पायी थी, इतने सारे चमगादड़ उसने पहली बार देखे थे । सोहन उसको देख कर हसने लगा था, तब तान्या को थोड़ा गुस्सा आया और वो नार्मल हों गयी, शिखर घूम रहा था और गौर इधर उधर देख रहा था,
खंडहर हो चुके महल मे जगह जगह झाड़ झंखाड उग आये थे ऐसा लग रहा था जैसे महल का खंडहर कुछ कुछ जंगल में तब्दील हो रहा था। किसी तरह झाड़ियों से बचते बचाते वे महल के मेन दरवाजे पर पहुंच गये। दरवाजा तो था ही नही। बस नाम की चौखट थी। चारों दोस्त महल के अंदर चले गये। जैसे ही अंदर महल मे पहुंचे । महल का वातावरण उन्हें बड़ा ही रहस्यमय लगा। महल के अंदर मकड़ी के बड़े बड़े जाले लगे थे और बड़ी ही अजीब और डरावनी आकृतियां दीवारों पर उकेरी गयी थी। कही अघोरी साधू साधना रत थे तो कही तांत्रिक कपाल क्रिया कर रहा था।
और बड़े से हाल के बिल्कुल सामने सीढियां थी ओर वो सीढियां ऊपर जा कर दो भागों बंट जाती थी वही पर एक आदमकद बड़ी सी तस्वीर लगी थी। तस्वीर मे एक बहुत ही सुन्दर औरत की आकृति थी, ये बड़ी बड़ी आंखें, लम्बी सुतवा नाक, पतले होंठ आंखों मे कोमलपन नही था और होंठों पर कुटिल मुस्कान।
कपाली बोला, "बाबा रे ! ये तो बड़ी सुंदर औरत है। जरा ऊपर जा कर देखता हूं मुझे लग रहा है कि इस तस्वीर के नीचे नाम लिखा है।"
कपाली ने ऊपर जाकर देखा तस्वीर के नीचे कोने पर लिखा था "रानी नागमति"
तस्वीर नीचे से जितनी आकर्षक लग रही थी ऊपर आते ही तस्वीर मे बैठी उस रानी की आंखें मानो बिल्कुल असली आँखों की तरह थीं बस फ़र्क़ ये था के ये झबकी नहीं ले रहीं थीं, ऐसे लग रही थी जैसे कपाली को निगल जाएगी। कपाली उस तस्वीर से आंखें नही मिला पा रहा था, उसको उन आँखों से थोड़ा डर लगा..
कपाली ने ये महसूस नहीं होने दिया.. और सभी से बोला,"अच्छा तो ये मैडम है रानी नागमति । भाई साहब आज के समय मे ये होती तो कितनों को तो अपनी नजर से घायल कर देती। चलो इसके इतिहास को भी देखते है। ये मैडम क्या करती थी । लगती तो बड़ी घाघ है। ऐसा लगता है अपने समय की बड़ी क्रूर किस्म के औरत लगती है मुझे तो। आंखों से वहशीपन साफ दिखाई देता है। "इतना कहकर जैसे ही कपाली उस तस्वीर को छुआ उसके पूरे शरीर मे सिहरन सी दौड़ गयी, वो एक झटके से अलग हों गया,.. उसको करंट जैसा महसूस हुआ था,
तभी तान्या चीखते हुए बोली, "अरे यार तुम ने देखा ये रानी की आंखें तस्वीर मे अभी झपकीं थी।" क्या किसी ने देखा?
तभी सोहन ठहाका लगा कर हंसा,"अरे यार कोई इसे समझाएं। ये रानी को इससे डरने की जरूरत है क्योंकि तू भानगढ़ की भूतनी है । हां हो सकता है तुझे आंख मारकर बुला रही हो कि आजा पार्टी करेंगे।"
सोहन की बात पर सभी जोर से हंस पड़े। तान्या सोहन को मारने दौड़ी,"ठहर जा भूत कही के । आजा पहले तेरे साथ पार्टी कर लेती हूं।"
कपाली अभी भी गौर से तस्वीर को देख रहा था, वो समझने की कोशिश कर रहा था के झटका कैसे लगा था…उसने किसी से इसके बारे में नहीं बताया,..
तान्या और सोहन दोनों भागते भागते महल के खंडहर के पीछे चले गये। वहां पर उनको एक दीवार दिखाई दी ऐसा लगता था पहले समय मे महल मे रहने वालों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए यह दीवार बनाई गई होगी। दस बारह फीट ऊंची दीवार थी और दीवार पर बहुत ही सुन्दर चित्रकारी की गयी थी।
राजा ,रानी, हाथी, घोड़े।
समय के कारण थोड़ा रंग हल्के पड़ गये थे। वो दोनों रुक गये और उसको देखने लगे, तभी तान्या बोली, "सोहन एक सेल्फी तो बनती है यहां पर।"
सोहन का फ़ोन उसके हाथ में है था, उसने और सोहन ने एक एक सेल्फी ली और एक इकठ्ठे फोटो ली मोबाइल से । दोनों अंदर खड़े शिखर और कपाली को ये फोटो दिखाने चलने लगे कि तुम भी वहां खड़े होकर सेल्फी ले लो। जब उन्होंने मोबाइल मे अपनी फोटो देखी तो एक चीज उन्हें सभी फोटो मे दिखाई दे रही थी। दीवार एक जगह से थोड़ा टूटी हुई थी और उसके अंदर एक गुप्त आला (खाली जगह) दिखाई दे रहा था। और उस आले मे एक कुछ रखा हुआ था। चारों उस दीवार की तरफ ऐसे दौड़े जैसे कोई खजाना मिल गया हो।
वो चारों वहाँ पोहचे उन्होंने देखा ऐसा लगता था कि दीवार मे ये जबरदस्ती बनाया गया है इसने दीवार पर एक पैच का काम किया था। बड़े गौर से देखने पर उन्हें वहाँ पर एक बड़ा सा पैकेट साफ दिखाई देने लगा। जब पास मे जा कर देखा तो पाया बहुत ही पतली दरार मे वो वो रखा हुआ था, जब उसको बाहर निकाला देखा उसके अंदर बस एक चश्मा रखा था। वो चारों हसने लगे..
सब बहुत देर तक हसते रहें.. उनको लग रहा था कुछ अलग और मजेदार चीज अंदर मिलेगी.. कुछ समय बाद जब सब चुप हों गये,
शिखर ने कहा ऐसे लग रहा था कि वो जानबूझ कर वहां छुपाया गया है, मतलब कोई चश्मे को ऐसे क्यों रखेगा ।
तब कपाली कुछ सोचता हुआ बोला ,"लाओ एक बार देखूं तो।" जब उसने चश्मे को छूआ तो एक बिजली सी कौंध गयी पूरे शरीर में । उसे जो बचपन से सपने मे आकृतियां दिखाई देती थी वो ही उसे दिखने लगी। उसको ऐसा लगा जैसे वो कहीं और पोहच गया है और यहाँ पर सब कुछ अलग है,..
Anjali korde
10-Aug-2023 09:49 AM
बेहतरीन
Reply
Babita patel
04-Aug-2023 05:51 PM
Nice
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
21-Mar-2023 12:03 AM
Shandar bhaag
Reply